काव्य की आकाश गंगा
सुनो बंधु
सच ये है कि
सब के ह्र्दय मेंं है
प्र्काश का एक पुन्ज
ह्र ह्र्दय में
होती है गुन्िजत
शब्दों की अनुगूंज
यदि प्रकाश के
ये पुन्ज एक दीशा में
कदम बदायें
रोक सकेगा उनको
कौन चलो काव्य की
आकाश गंगा बनायें.
......२३.१२.०६
जब जब छलके अंतरमन,भावोंं की हो गुंजन,शब्द घटाओं से उमड़ घुमड़, रचते निर्मल ...'काव्यगगन'! यह रेणु आहूजा द्वारा लिखा गया ब्लाग है .जो कि उनकि निजि कवितओं का संग्र्ह है!it is a non profitable hobby oriented blog.containing collection of hindi poetries.
सुनो बंधु
यह मेरी हिन्दी लीपि में लिखने का पहला प्रयास है |
basant ek shurooaat nai