काव्यगगन( kavyagagan)

जब जब छलके अंतरमन,भावोंं की हो गुंजन,शब्द घटाओं से उमड़ घुमड़, रचते निर्मल ...'काव्यगगन'! यह रेणु आहूजा द्वारा लिखा गया ब्लाग है .जो कि उनकि निजि कवितओं का संग्र्ह है!it is a non profitable hobby oriented blog.containing collection of hindi poetries.

Tuesday, September 25, 2007

चक दे ट्वंटी ट्वंटी



सचमुच रोमांच ,गले पर लटकती तलवार सा मैच

ऐसा अहसास, हर बाल तलवार की धार

जोहानसबर्ग जैसे शतरंज की बिसात

जाने किसे मिलेगी शह और मात


हुई जीत आखिरकार

एक शानदार यादगार

हिन्दुस्तानियों के लिए

गौरव की मिसाल

दिल्ली में जशन का एसा था माहौल

कि लोग लिये सड़्क पर ढोल थाल परात

समझ लो, जो लगा जिसके हाथ..


झूमते गाना "हां वर्ल्ड कप ले लिया"

भला हो उस कैच का जिसने सारा रुख बदल दिया

जाने ये जुनून कैसा है, जिसने सबको एकरंग बना लिया

कि मुंह से रोके ही नहीं रुक रहा ये..."चक दे इंडिया"


-रेणू अहूजा

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3 Comments:

At 9:27 AM, Blogger Pratik Pandey said...

वाह, बढ़िया कविता है। ख़ासतौर पर इस जीत के बाद हिन्दुस्तानियों का जो मूड है, उसके लिए बिल्कुल फ़िट है।

 
At 8:18 PM, Blogger renu ahuja said...

नमस्ते प्रतीक जी
टिप्प्णी आपकी बहुत सही

क्रिकेट अनिशचितताओं का है खेल
जीत के इंजन पर उम्मीद की रेल.
-रेणू.

 
At 3:43 PM, Blogger Unknown said...

I really liked ur post, thanks for sharing. Keep writing. I discovered a good site for bloggers check out this www.blogadda.com, you can submit your blog there, you can get more auidence.

 

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