काव्यगगन( kavyagagan)

जब जब छलके अंतरमन,भावोंं की हो गुंजन,शब्द घटाओं से उमड़ घुमड़, रचते निर्मल ...'काव्यगगन'! यह रेणु आहूजा द्वारा लिखा गया ब्लाग है .जो कि उनकि निजि कवितओं का संग्र्ह है!it is a non profitable hobby oriented blog.containing collection of hindi poetries.

Tuesday, September 25, 2007

चक दे ट्वंटी ट्वंटी



सचमुच रोमांच ,गले पर लटकती तलवार सा मैच

ऐसा अहसास, हर बाल तलवार की धार

जोहानसबर्ग जैसे शतरंज की बिसात

जाने किसे मिलेगी शह और मात


हुई जीत आखिरकार

एक शानदार यादगार

हिन्दुस्तानियों के लिए

गौरव की मिसाल

दिल्ली में जशन का एसा था माहौल

कि लोग लिये सड़्क पर ढोल थाल परात

समझ लो, जो लगा जिसके हाथ..


झूमते गाना "हां वर्ल्ड कप ले लिया"

भला हो उस कैच का जिसने सारा रुख बदल दिया

जाने ये जुनून कैसा है, जिसने सबको एकरंग बना लिया

कि मुंह से रोके ही नहीं रुक रहा ये..."चक दे इंडिया"


-रेणू अहूजा

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चक दे इंडिया वर्ल्ड़ कप २००७




माही भज्जी यूवी जोगिन्दर


ले आए कप घर के अन्दर


जुड़ा इतिहास में नया ताज


जीत लिया फ़िर कप आज





कपिल मदन भी झूमे आज


लार्ड्स की उनको आगई याद


एसा कमाल किया गंभीर


ताने तूने जीत के तीर





जोहानसबर्ग में ट्वंटी ट्वंटी


देश भर में खुशी की घंटी


चमकी फ़िर से देश की शान


किया कमाल अब तूने पठान





वर्ल्ड कप भारत की आन


धड़का मिलकर हिन्दुस्तान


कांटे की टक्कर चाहे मिली थी


यकीं की हममें कमी नही थी





सईंयो माही झूमे जिया


चक दिये फ़ट्टे तूने ईंडिया


मिले दुआ मे करोड़ों हाथ


यही हिंद की जीत का राज़





-रेणू आहूजा

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