हिन्दी लीपि (देवनागरी)
यह मेरी हिन्दी लीपि में लिखने का पहला प्रयास है |
मन करता है, खुशी के मारे मर जाऊँ |
जब जब छलके अंतरमन,भावोंं की हो गुंजन,शब्द घटाओं से उमड़ घुमड़, रचते निर्मल ...'काव्यगगन'! यह रेणु आहूजा द्वारा लिखा गया ब्लाग है .जो कि उनकि निजि कवितओं का संग्र्ह है!it is a non profitable hobby oriented blog.containing collection of hindi poetries.
6 Comments:
हिन्दी में लिख पाने के लिये बधाई रेनू जी। आपकी खुशी आपके शब्दों से झलकती है :)
दोस्त
ललित
देवनागरी लिपी में लिखने के लिये आपको बहुत बधाई। आशा है आगे से आपकी कविताएँ देवनागरी लिपी में पढ़ने को मिलेंगी।
ललित जी ऒर प्रतीक जी, प्रोत्साहन के लिये शुक्रिया, सोच रहे हैं की ये काम हमनें इत्नी देर से क्यों किया. पर शुरुआत ना होने से तो अच्छा है कि देर आये दुरुस्त आये.
हिन्दी में लिखनें के लिये बधाई । है ना सरल ???
अब जिस नें भी आप को सिखाया है , उस की गुरु दक्षिणा यही होगी कि आप भी कम से कम दो लोगों को हिन्दी में लिखना सिखायें ।
किसी तरह की सहायता की ज़रूरत हो पूछनें में संकोच न करें ।
ऐसी ही अनुभूति, मुझे भी हुई थी, करीब चार साल पहले, जब मैंनें हिन्दी में इंटरनेट पर पहला प्रकाशन किया था...
हिन्दी चिट्ठा जगत् में आपका स्वागत है...
आपमे हिन्दी लिखने की अदभुत कला है लिखते रहिये
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