काव्यगगन( kavyagagan)

जब जब छलके अंतरमन,भावोंं की हो गुंजन,शब्द घटाओं से उमड़ घुमड़, रचते निर्मल ...'काव्यगगन'! यह रेणु आहूजा द्वारा लिखा गया ब्लाग है .जो कि उनकि निजि कवितओं का संग्र्ह है!it is a non profitable hobby oriented blog.containing collection of hindi poetries.

Wednesday, August 16, 2006

तिरंगे को नमन


तीन रंग का झंड़ा एक ये
क्यूं लगता इतना प्यारा
एसा क्या इस झंड़े में
कुर्बान देश है सारा

रंग केसरी एसा तेजोमयी
दिये एसे सैनानी
मंगल पांड़े, कभी भगतसिंह,
कभी झांसी की रानी

एक एक बूंद लहू की अपनी
दे के वीर मुस्काए,
आज़ादी की सांसें दे हमें
दी अपनी सांसें लुटाए

एसी तिरंगे की ताकत,
वारे लाखों इस पर जाएं
जब भी देश पर आए संकट
वंदेमातरम गाएं

लिये सफ़ेदी मेरा तिरंगा
शांति गीत जब गाए
भारत ही क्या,इस पर सारी
धरा कुटुंब बन जाए

लिये खुशहाली रंग हरियाली,
लहरा खेतों से से आए,
झूमझूम महक माटी की
तिरंगा दे बतलाए

हर जन,हर गण,
हर मन वंदन करे भारती गान
'वंदे मातरम ' दो शब्दों में
दमके हिंद की शान

एसा तिरंगा जादू भरा ये
जब जब है लहराता
हर बोली हर धर्म का
संगम दुनिया को दिखलाता

बंग, मराठी, उत्कल सिधी,
जो नदिया की मौजें,
कशमीर,हिमाचल,बुंदेले
सब एक धारा में सोचें

नहीं अलग हम,
जय हिंद गणतंत्रम
वेद संस्कृति संगम
एक ही धुन मे बोलें
मिल कर वंदे, वंदेमातरम....!

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