काव्यगगन( kavyagagan)

जब जब छलके अंतरमन,भावोंं की हो गुंजन,शब्द घटाओं से उमड़ घुमड़, रचते निर्मल ...'काव्यगगन'! यह रेणु आहूजा द्वारा लिखा गया ब्लाग है .जो कि उनकि निजि कवितओं का संग्र्ह है!it is a non profitable hobby oriented blog.containing collection of hindi poetries.

Monday, December 19, 2016

स्वच्छ भारत

                              
ए मेरे वतन के लोंगों
ये बात तुम्हें समझानी
सुन्दरता की तो सारी कुदरत भी है दीवानी
जहाँ चमके हर एक कोना-२ 
हो जाए दिल भी सलोना -२
हो कचरा या बीमारी – २
जीवन पर पड़ती भारी -1
ए मेरे वतन के लोंगों
ये बात तुम्हें समझानी
सुन्दरता की तो सारी कुदरत भी है दीवानी
हो स्वच्छ ये देश हमारा- २
हम सबकी ज़िम्मेदारी- २ 
आओ मिल कर हाथ बढाये -२
बच्चे हों नर या नारी-1
ए मेरे वतन के लोंगों
ये बात तुम्हें समझानी
सुन्दरता की तो सारी कुदरत भी है दीवानी
हो देश हमार एसा -२ 
                                             जहां चारो ओर सफाई-२ 
और पूरे विश्व  में गूंजे-२ 
मेरे भारत की शहनाई -२
जय हिन्द , जय हिन्द के लोंगों
जय हिन्द , जय हिन्द के लोंगों


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