नेह का वरण करो
सत्य कटु पर कभी कभी मात्र गरल होता है
असीम वेदना का कभी परीक्षा स्थल होता है,
झूठ सही पर कभी कभी मरहम भी बन जाता है,
शब्द सामर्थ्य कभी अलंकरण वाणी का बन पाता है,
है सहनी पड़ती पौरुष को भी कटु शब्दों की धार
कि मृदु सौमय को भीरु, दीन, समझे न हर बार.
कोप भवन की वेदी सीमा गगन क्षितिज सी अनंत
ताप्त गगन को भी चाहिये, शीतलता चंद सम
देता भले ही तपते कुंड़ को जग, होम-आहूती
पर शांत भस्म ही बन पाये तिलक शीर्ष भभूती
गौरव दर्प पौरुष का, बन दमके तीखा ताप
पर एक बूंद स्वाति-कण की, मिटा देती संताप
भले जगत मे, जीवन-रण में रौद्र रूप धरो
पर हृदय के अंतर-तल में वरण नेह का करो.
-रेणु आहूजा.
13 Comments:
भले जगत मे, जीवन-रण में रौद्र रूप धरो
पर हृदय के अंतर-तल में वरण नेह का करो.
बढ़िया लगा!
बहुत बढिया...
समीर लाल
आदरणीय अनूप व समीर जी,
हम कहेंगे इतना ही,कि
कोई विचार भला लगा,
तो काव्यधर्म सफल हुआ.
-रेणु आहूजा.
bahut mushkil hindi shabdon ka upyog kar rahi hai aap, thodi saral bhasha main kahengi to sadharan janta ko bhi samaj main aa jayega, wase lag to achi hi rahi hai
xyz
This is a fact of life. I appreciate your feelings. Its extermly wonderful.
RAWAT
अग्यात जी,एवं रावत जी,
सर्वप्रथम ब्लाग पढनें के लिए धन्यवाद!
अग्यात जी:
हमनें कुछ समय पहले, याहू के poetry_hindi GROUP पर श्री रिपुदमन जी की लिखी कविता पढी जिसक शीर्षक था, "रौद्र रूप धारण करो" और प्रत्युत्तर में इस रचना ने जन्म लिया, वह कविता भी अति परिष्कॄत भाषा में थी, इस कारण से हमारी रचना की भाषा भी उस स्तर की है.....परंतु ब्लाग में आपको सरल भाषा की भी रचनाएं पढने को मिल जाएंगी !
रावत जी,:- उत्साहवर्धन के लिए, शुक्रिया ,हमारा प्रयास रहेगा कि भविष्य में निरंतर अच्छी रचनाओं के माध्यम से साहित्य की सेवा कर सकूं!
-रेणु आहूजा.
Renu Devi....
kintu varan neh kaa karne wala kaayar hee kahlaaya
jeevan rann kee vipdaa se vo bhaag khada ho aaya.
aaj dhesh ko garam khoon kee aawaShyaktaa hai. neh bahut ho chuka.
Prithvi Raj Chauhaan
बात तो सही है आपकी चौहान जी, आज देश को बेशक गरम खून की ही ज़रुरत है, हम बस इतना कह रहे है कि ज़रुरत पढ़्ने पर स्नेह की बोली भी हम बोल सकें...भले जगत में जीवन रण में रौद्र रूप धारण करो, मगर हृदय के अंतरतल में नेह का वरण करो....ये शर्त नहीं बस एक वीर की वीरता का ही लक्षण है, आपके विचार निसंदेह उत्तम हैं....बस यूं ही प्रतिक्रिया देते रहें....रेणु.
रेणू जी,
आपकी यह कविता पढ़कर बहुत अच्छा लगा ।
बहुत ही सुन्दर एवं निर्दोश भाव हैं ।
रीतेश गुप्ता
शुक्रिया रीतेश जी,
कविता वही सही,
जो मन को लगे
बहुत भली.
आपकी टिप्पणी के लिए शुक्रिया.आगे भी प्रित्क्रिया दे कर स्नेह बनाए रखें
-रेणू.
munnabhai lage raho
blog ki duniya is mayne main sahee hai ki ek blog se dusare tak anginat dwar hain...aaj aise hi kuch yatrayen karte hue aapke blog tak pahuncha...saral aur sundar kavitayen likhi hain aapne...badhai...
chandiduttshukla
delhi
blog ki duniya is mayne main sahee hai ki ek blog se dusare tak anginat dwar hain...aaj aise hi kuch yatrayen karte hue aapke blog tak pahuncha...saral aur sundar kavitayen likhi hain aapne...badhai...
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